Tuesday, January 03, 2017

तेरे बिना जीने की आदत में अभी वक़्त लगेगा

ज़िन्दगी में रंग भरने में अभी वक़्त लगेगा
तेरे बिना जीने की आदत में अभी वक़्त लगेगा

ye saal bhī udāsiyāñ de kar chalā gayā
tum se mile baġhair december chalā gayā

उस मोड़ से शुरू करनी है,,
फिर से जिंदगी,,,
,,,
जहाँ सारा शहर अपना था
और तुम अजनबी..!!
बड़ी देर तक जलते हुए देखा ख़ुद को

ये भी एक शौक़ है

जो बुझता नहीं है


दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज़ नए बहाने से।
वह हो गया है वाकिफ़ मेरे हर ठिकाने से

Tumne naaraz hona chhod diya,
Itni naarazgi bhi theek nahi......!!!!



2 comments:

  1. अच्छा लिखते हैं आप
    बस आपसे बात कहना चाहता हूँ आप जब इस ब्लॉग पर कुछ भी लिखे तो ऐसे लिखे की पढने समझ पाए की एक जितने भी शेर लिखे हैं वो अगल-अगल हैं

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  2. maine koi sher nahi likha hai ... bas collect kiya hai

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