ज़िन्दगी में रंग भरने में अभी वक़्त लगेगा
तेरे बिना जीने की आदत में अभी वक़्त लगेगा
ye saal bhī udāsiyāñ de kar chalā gayā
tum se mile baġhair december chalā gayā
उस मोड़ से शुरू करनी है,,
फिर से जिंदगी,,,
,,,
जहाँ सारा शहर अपना था
और तुम अजनबी..!!
बड़ी देर तक जलते हुए देखा ख़ुद को
ये भी एक शौक़ है
जो बुझता नहीं है
दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज़ नए बहाने से।
वह हो गया है वाकिफ़ मेरे हर ठिकाने से
Tumne naaraz hona chhod diya,
Itni naarazgi bhi theek nahi......!!!!
तेरे बिना जीने की आदत में अभी वक़्त लगेगा
ye saal bhī udāsiyāñ de kar chalā gayā
tum se mile baġhair december chalā gayā
उस मोड़ से शुरू करनी है,,
फिर से जिंदगी,,,
,,,
जहाँ सारा शहर अपना था
और तुम अजनबी..!!
बड़ी देर तक जलते हुए देखा ख़ुद को
ये भी एक शौक़ है
जो बुझता नहीं है
दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज़ नए बहाने से।
वह हो गया है वाकिफ़ मेरे हर ठिकाने से
Tumne naaraz hona chhod diya,
Itni naarazgi bhi theek nahi......!!!!
अच्छा लिखते हैं आप
ReplyDeleteबस आपसे बात कहना चाहता हूँ आप जब इस ब्लॉग पर कुछ भी लिखे तो ऐसे लिखे की पढने समझ पाए की एक जितने भी शेर लिखे हैं वो अगल-अगल हैं
maine koi sher nahi likha hai ... bas collect kiya hai
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