Monday, January 03, 2022

बड़े करीब से उठकर चला गया कोई..

हाथ थाम सके, पकड़ सके दामन

बड़े करीब से उठकर चला गया कोई... 

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Aapke bhikre hue sirf baal hai sahab

hamari to zindagi ka yehi haal hai

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 Bichadne bhar ki der thi bas

zamane bhar ki burai mujh mein aa gayi.

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Ishara to madad ka kar raha tha magar

yaara saahil ne salama alvida samjha

 

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कभी आओ तो मातम करें जुदाई का ..!

तुम्हारे साथ मनायें, तुम्हारे बाद का दुःख ..!!

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हकीकत  की  रस्सियों  पर  लटककर.!!

जाने  कितने  ख्वाब  खुदकशी  कर गये.!!!

 

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Chahta hun keh bhool jaon tumhain

aur khud bhi na yaad aaon tumhain

jaisey tum sirf ik kahani thein

jaisey mein sirf ik fasana tha

 

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Hasratein dafan hai mujh mai, Khud ka khud mazar hun mai.

 

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Ye mujhe chain q ni padhta,

ek hi shaqs tha jahan me kya

 

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उसकी जुस्तजू, उसका इंतज़ार और ये अकेलापन

थक कर मुस्कुरा देते हैं जब रोया नही जाता . . .

 

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मैं घर में एक कमरा रखूंगा

दूंगा नाम तेरा और उसे तन्हा रखूंगा

 

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अंदर के हादसों पे किसी की नज़र नहीं

हम मर चुके हैं और हमें इस की ख़बर नहीं

 

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कुछ रह सका जहां वीरानियाँ तो रह गई

तुम चले गये तो क्या कहानियाँ तो रह गई

 

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यानी ये ख़ामोशी भी किसी काम की नहीं

यानी मैं बयां करके बताऊँ कि उदास हूँ

 

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ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है 

उन की बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी!

 

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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूं

उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

 

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वो मुझ को टूट के चाहेगा छोड़ जाएगा

मुझे ख़बर थी उसे ये हुनर भी आता है