न हाथ थाम सके, न पकड़ सके दामन,
बड़े करीब से उठकर चला गया कोई...
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Aapke bhikre hue sirf baal hai sahab
hamari to zindagi ka yehi haal hai
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Bichadne bhar ki der thi bas
zamane bhar ki burai mujh mein aa gayi.
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Ishara to madad ka kar raha tha magar
yaara saahil ne salama alvida samjha
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कभी आओ तो मातम करें जुदाई का ..!
तुम्हारे साथ मनायें, तुम्हारे बाद का दुःख ..!!
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हकीकत की रस्सियों पर लटककर.!!
जाने कितने ख्वाब खुदकशी कर गये.!!!
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Chahta hun keh bhool jaon tumhain
aur khud bhi na yaad aaon tumhain
jaisey tum sirf ik kahani thein
jaisey mein sirf ik fasana tha
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Hasratein dafan hai mujh mai, Khud ka khud mazar hun mai.
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Ye mujhe chain q ni padhta,
ek hi shaqs tha jahan me kya
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उसकी जुस्तजू, उसका इंतज़ार और ये अकेलापन,
थक कर मुस्कुरा देते हैं जब रोया नही जाता . . .
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मैं घर में एक कमरा रखूंगा,
दूंगा नाम तेरा और उसे तन्हा रखूंगा…
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अंदर के हादसों पे किसी की नज़र नहीं,
हम मर चुके हैं और हमें इस की ख़बर नहीं
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कुछ न रह सका जहां वीरानियाँ तो रह गई,
तुम चले गये तो क्या कहानियाँ तो रह गई…
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यानी ये ख़ामोशी भी किसी काम की नहीं,
यानी मैं बयां करके बताऊँ कि उदास हूँ…
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ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है
उन की बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी!
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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूं,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
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वो मुझ को टूट के चाहेगा छोड़ जाएगा,
मुझे ख़बर थी उसे ये हुनर भी आता है…