Popey che tame ............ तेरी बेरुखी ने छीन ली हैं शरारतें मेरी...लोग समझते हैं मैं सुधर गया हूँ
Tuesday, January 03, 2023
कौन कहता है तेरी याद से बेख़बर हूँ मैं
कौन कहता है तेरी याद से बेख़बर हूँ मैं,
ज़रा बिस्तर की सिलवटों से पूछ रात कैसे गुज़रती है…
......
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आंसू ,
इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला…
.................................
आशिक़ था मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया,
अब कोई शायर सा है, अजीब अजीब सी बातें करता है ...
....................
एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं…
..................
मैं हूँ भी तो लगता है कि जैसे मैं नहीं हूँ,
तुम हो भी नहीं और ये लगता है कि तुम हो…
.....
इतना धीरे-धीरे रिश्ता ख़त्म हुआ,
बहुत दिनों तक लगा नहीं हम बिछड़े हैं…
......
कभी अर्श पर कभी फर्श पर,कभी उनके दर कभी दर ब दर,
ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया,हम कहां कहां से गुज़र गए…
...........................
कुछ बातें करनी हैं तुमसे,
एक शाम फ़ुरसत से आना,
मैं अपने ख़याल लाऊँगा,
तुम वक़्त लेते आना . . .
......
कहाँ से लाऊँ इतना सब्र,
थोड़ा मिल क्यूँ नहीं जाते…
.....
बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कहानी,
ज़ख्म का कोई निशान नहीं और दर्द की कोई इंतहा नही..
......
तुम्हारा साथ भी छूटा, तुम अजनबी भी हुए,
मगर ज़माना तुम्हें अब भी मुझ में ढूंढता है…
............................
तुम्हारे पास तो फिर भी तुम हो,
मेरे पास तो मैं भी नहीं . .
.....................
आहिस्ता आहिस्ता ख़त्म हो जाएँगे,
ग़म ना सही हम ही सही . .
........................
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आपको,
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के . . .
................................
Subscribe to:
Posts (Atom)